गावो भगो गाव इन्द्रो मे - #यजुर्वेद ४३/२३ "गाय ही मेरा ऐश्वर्य, गाय ही मेरा भाग्य है।"
आज 296 दिनों की अवधि में हमारी गाय का प्रसव हुआ ।भारतीय सर्वांग सुंदर देसी गोवंश के लिए है यह गर्भकाल की अधिकतम अवधि है। हमारी गैया मैया ने सुंदर नर बछड़े (Male calf) को जन्म दिया। प्रसव सामान्य सरल रहा कोई कठिनाई उत्पन्न नहीं हुई गाय बहुत संवेदनशील जीव है।
गायों का प्रसव तीन चरणों में पूरा होता है। प्रसव की पहली स्टेट 2 से 6 घंटे के बीच होती है जब गाय की बच्चेदानी का मुंह सर्विस का चौड़ीकरण होता है वह खुलता है सफेद मोटे धागे नुमा डिस्चार्ज निकलता है। जिससे नवजात बच्चा आसानी से रिप्रोडक्टिव ऑर्गन से निकल सके। इस दौरान गाय खाना पीना छोड़ देती है वृत्ताकार घूमती है कभी उठती है बैठती है बेहद एकाकी महसूस करती है। दूसरी अवधि 1 घंटे में पूर्ण हो जाती है पहली स्टेज के पश्चात वाटर बैग जिसे मूत्र पिंड या मूत लेंडी गांव देहात में कहते हैं वह निकलती है उसके पश्चात नवजात बछड़ा या बछडी निकलती है। तीसरी अंतिम स्टेज 2 से लेकर 8 घंटे में पूरी है जिसमें गर्भाशय से जेर (प्लेसेंटा )अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं जिससे बच्चेदानी की सफाई हो जाती है।
प्रसव के पश्चात 40 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं गो स्वामी या पशुपालक के लिए गाय के प्रजनन अंग सामान्य हो जाते हैं गाय अपनी उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता इन्हीं दिनों में हासिल करती है। आपके पशुओं का बाड़ा गायों के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बाडा जितना साफ सूखा रहेगा गाय उतना ही प्रसन्न रहेगी यह बहुत संवेदनशील एकांत स्वच्छता प्रेमी जीव है ।इसके अलावा गर्भधारण से लेकर प्रसव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रोजेस्ट्रोन इसट्रोजन ऑक्सीटॉसिन पैराग्लाइडिंन जैसे हार्मोन निर्णायक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
